विधानसभा में आईएएस गौरी सिंह के वीआरए पर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने  

Dec 20, 2019

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 20 दिसंबर। मध्यप्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को गरीबों और एसीएस गौरी सिंह के वीआरएस मांगने के मुद्दे पर सदन में जमकर हंगामा हुआ। गौरी सिंह के मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने हो गया।  इस बीच स्पीकर एनपी प्रजापति ने कार्यसूची में शामिल विषयों को पूरा करने के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी। इसके साथ ही शीतकालीन सत्र संपन्न हो गया। वैसे सत्र 23 दिसंबर तक प्रस्तावित था।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शनिवार और रविवार को सदन में अवकाश के बाद सोमवार को भी एक बैठक प्रस्तावित थी। इस तरह सत्र के दौरान पांच में से चार बैठकें ही हो पाईं। सरकार ने 23 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट पेश कर उसे पारित करा लिया है। हंगामे के दौरान भाजपा के सदस्यों ने दो बार आसंदी के समक्ष पहुंचकर नारेबाजी भी की। अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने सदस्यों को बार बार समझाइश दी कि वे शांत होकर सदन की कार्यवाही निर्विघ्न रूप से चलाने में सहयोग दें। शांति नहीं होने पर अध्यक्ष ने कार्यसूची में शामिल विषयों को पूर्ण किया। 


सदन में शुक्रवार को प्रश्नकाल समाप्ति के बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सड़कों का मामला उठाया। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी गौरी सिंह के कथित इस्तीफे का मामला उठाते हुए आरोप लगाया कि प्रदेश में सक्रिय पोषण आहार माफिया ने उनका तबादला करा दिया, जिससे व्यथित होकर वे नौकरी छोड़ने को विवश हुईं। चौहान ने आरोप लगाया कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है। ईमानदार अधिकारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है और दागी अफसर खुलकर खेल रहे हैं। इसी के चलते एक जिले में भू अभिलेख अधिकारी ने तो आत्महत्या तक कर ली।

वित्त मंत्री तरुण भनोत ने इन आरोपों पर सख्त आपत्ति जताते हुए कहा कि राज्य मंत्रालय वल्लभ भवन में सभी लोगों का आना जाना रहता है, तो क्या सभी की कार्यशैली पर आरोप लगाए जाएंगे। यह घोर आपत्तिजनक है। एक अन्य मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने भी आरोपों पर आपत्ति ली और कहा कि चौहान जो आरोप लगा रहे हैं, वह गलत हैं। आईएएस अफसर श्रीमती गौरी सिंह के तबादले की वजह कुछ और है। गौरी सिंह ने बगैर मुख्यमंत्री से चर्चा करते हुए पंचायत चुनावों को लेकर फैसला लिया था।  सज्जन सिंह वर्मा ने सवाल उठाते हुए कहा कि विपक्ष को बताना चाहिए कि क्या कोई भी अफसर बगैर मुख्यमंत्री से चर्चा किए इस तरह के महत्वपूर्ण फैसला ले सकता है। इसी दौरान पक्ष और विपक्ष के सदस्य एकसाथ खड़े होकर बोलने लगे, जिससे सदन शोरशराबे में डूब गया और एक अवसर पर कुछ भी सुनायी नहीं दिया। इस बीच विपक्ष के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसंदी के सामने पहुंच गए। हालाकि अध्यक्ष की समझाइश पर वे वापस आ गए।

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